Friday, 16 March 2012

'से यस टू लव' में सिर्फ नायिका का काम बेहतर है

  

एक  नयी  और  फ्रेश  जोड़ी  को लेकर बनायीं गयी म्यूसिकल लव स्टोरी फिल्म है ‘से यस टू लव’. फिल्म की कहानी कुछ यूँ है – विजय (आसद मिर्ज़ा) जो काफी शरीफ और शर्मीला किस्म का लड़का है को एक बार उसके साथी उसे फुसलाकर एक रेड लाईट एरिया में ले जाते हैं. जहाँ एक वेश्या के संपर्क में आने से पहले कुछ ऐसा घटता है जिसकी वजह से विजय के दिलो-दिमाग में एक अजीब -सा डर हावी हो जाता है जिससे उबरने में वह खुद को लचर महसूस करता है. इसी डर की वजह से वो लड़कियों से दूर भागता है और वो मान लेता है कि कभी कोई लड़की उसकी दोस्त नहीं बन सकती. उसकी इस प्रोब्लम का पता अनजाने में उसके पिता को लग जाता है. इसी दरम्यान उसके पिता एक बोल्ड व ब्यूटीफुल लड़की सारा जोंस (नाजिया हुसैन) से टकराते हैं और उससे अपने बेटे की ज़िन्दगी बदलने का सौदा करते हैं. तो क्या सारा जोन्स विजय की गमगीन ज़िन्दगी बदलकर खुशहाल बना पाने में कामयाब हो पाती है….? यही है ‘से यस टू लव’ की कहानी.
कभी फिल्म के बारे में निर्देशक ने कहा था कि करीब तीन साल की मेहनत इसकी स्क्रिप्ट को तैयार करने में लगी है लेकिन फिल्म देखने के बाद सवाल उठता है कि एक सिंपल सी कहानी के ऊपर कमजोर पटकथा तैयार करने में इतने वक़्त कैसे लग गएँ. फिल्म का निर्देशन बस ठीक-ठाक है अगर फिल्म के डायरेक्टर ने फिल्म लेखन की कमान सँभालने की बजाये डायरेक्शन पर ज्यादा ध्यान दिया होता तो नतीजा कुछ और ही होता. अब जरा अभिनय की बात कर लें. फिल्म के नायक आसद मिर्ज़ा कहीं से फिल्म में एक्टिंग करते हुए नहीं दिखते. ऐसा लगता है जैसे उनके अन्दर अभी आत्मविश्वास की कमी है और उन्हें अभी और तैयारी करके एक्टिंग के मैदान में कूदना चाहिए. लेकिन वहीँ नायिका नाजिया हुसैन न सिर्फ परदे पर खूबसूरत दिखी हैं बल्कि एक्टिंग भी इतने बोल्ड और बिंदास रूप में किया है कि यह एहसास ही नहीं होता कि यह उनकी पहली फिल्म है. वहीँ आसद के पिता के किरदार में आदित्य राज कपूर ने निरास किया है. उनकी एक्टिंग फिल्म में बनावटी लगती  है. बाकी के कलाकारों का अभिनय सामान्य  है. फिल्म की एडिटिंग साधारण है पर सिनेमेटोग्राफी अच्छी कही जाएगी. फिल्म के लोकेशन सजीव लगते हैं. फिल्म का संगीत ठीक-ठाक है पर एक-दो गानों को छोड़ दिया जाये तो कोई भी गाना फिल्म देखने के बाद  जेहन में याद नहीं रहता. जहाँ फर्स्ट हाफ में फिल्म थोडा इंटरटेन करती है वहीँ सेकेण्ड हाफ में स्लो होने के साथ ही थोडा बोर करती है.
निर्माता : मिर्ज़ा ब्रदर्स, शमीम खान
लेखक-निर्देशक : मारुख मिर्ज़ा बेग
संगीत : जतिन पंडित
गीत : जलीस शेरवानी
रेटिंग : 1.5/5 स्टार 



राकेश सिंह ‘सोनू’
rakeshsonoo@gmail.com

No comments:

Post a Comment