नयी बोतल में पुरानी शराब की तरह है 'चार दिन की चांदनी'
निर्देशक समीर कार्णिक की पिछली हिट फिल्म ‘यमला पगला दीवाना’ में भी एक सरदार की स्टोरी थी और इस बार उनकी नयी रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म ‘चार दिन की चांदनी’ में भी पप्पी सरदार छाए हुए हैं. लेकिन बावजूद हर मसाले के ‘चार दिन की चांदनी’ फिल्म ‘यमला पगला दीवाना’ से बेहतर नहीं बन पाई है. फिल्म की कहानी को आप नयी बोतल में पुरानी शराब कह सकते हैं. यानी कई फिल्मों का मिश्रण इस फिल्म में देखा जा सकता है. फिल्म की कहानी है राजस्थान के राजपूत परिवार की जिसके मुखिया हैं अनुपम खेर जो अपने को रोंयल मानते हैं. उनके घर में बेटी की शादी की तैयारी चल रही है , इस मौके पर उनका छोटा बेटा वीर विक्रम सिंह ( तुषार कपूर ) विदेश से अपनी गर्लफ्रेंड चांदनी (कुलराज रंधावा) जिसे वो प्यार करता है को लेकर घर आता है. लेकिन अपने पिता के डर से वो चांदनी का परिचय एक जर्नलिस्ट के रूप में कराता है . उसके पिता उसे भी अपनी बेटी की शादी तक यानी चार दिन घर में रुकने की इज़ाज़त देते हैं. वीर और चांदनी की लव स्टोरी चोरी-छूपे चल रही होती है लेकिन चांदनी मुश्किल में तब पड़ जाती है जब वीर के चारों बड़े भाई उसको चाहने लगते हैं. फिल्म में ट्विस्ट तब आता है जब वीर पप्पी सरदार के नए अवतार में आकर धमाल मचाता है.
कहानी कोई नयी नहीं है,पटकथा भी बहुत अच्छी नहीं कही जाएगी.फर्स्ट हाफ से बेहतर सेकेण्ड हाफ लगता है क्यूंकि तब पप्पी सरदार की इंट्री होने के बाद फिल्म में धूम-धड़का शुरू हो चुका होता है.और इस मसाला फिल्म में डायलौग भी मसालेदार ही हैं. फिल्म में कॉमेडी है लेकिन कहीं-कहीं पर वो जबरन हँसानेवाली लगती है. फिल्म का निर्देशन ठीक-थक ही कहा जायेगा. क्यूंकि निर्देशक अपनी पिछली फिल्म ‘यमला पगला दीवाना’ जैसा जादू चलने में नाकामयाब रहे हैं.अभिनय की बात करें तो तुषार फर्स्ट हाफ में जमते नहीं लेकिन जैसे ही वो पप्पी सरदार का गेटअप लेकर आते हैं दर्शकों की वाहवाही लूट ले जाते हैं. वहीँ कुलराज रंधावा ने भी चांदनी बनकर अपने अभिनय की चमक बिखेरी है. यह डिम्पल बाला पर्दे पर बड़ी खुबसूरत दिखती है. अनुपम खेर ऐसी कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं लेकिन वो कई बार ऐसी कॉमेडी कर चुके हैं.एक रोंयल और सख्त राजपूत की भूमिका में वो जांचते हैं. उनकी पत्नी की भूमिका में अरसे बाद दिखी अनीता राज ने भी अच्छी परफोर्मेंस दी है. तुषार के तीन भाईओं में से सिर्फ सुशांत सिंह ही अपनी कॉमेडी से ध्यान खिंच पाए हैं बाकी भाईओं में से चंद्रचूड सिंह को तो वेस्ट ही किया गया है. ओम पुरी और फरीदा जलाल ने भी बढ़िया काम किया है. जोनी लीवर पहले भी ऐसी कॉमेडी कर चुके हैं लेकिन अपनी छोटी सी भूमिका में उन्होंने अच्छा रंग जमाया है.
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी ठीक-ठाक है , मगर एडिटिंग में थोड़ी बहुत कमियां हैं. फिल्म के गीत-संगीत सामान्य हैं, सिर्फ ‘चांदनी ओ मेरी चांदनी..’ गाना ही फिल्म देखने के बाद जेहन में याद रहता है. मसाला फिल्म देखनेवालों को यह फिल्म उतनी निरास नहीं करेगी.
कहानी कोई नयी नहीं है,पटकथा भी बहुत अच्छी नहीं कही जाएगी.फर्स्ट हाफ से बेहतर सेकेण्ड हाफ लगता है क्यूंकि तब पप्पी सरदार की इंट्री होने के बाद फिल्म में धूम-धड़का शुरू हो चुका होता है.और इस मसाला फिल्म में डायलौग भी मसालेदार ही हैं. फिल्म में कॉमेडी है लेकिन कहीं-कहीं पर वो जबरन हँसानेवाली लगती है. फिल्म का निर्देशन ठीक-थक ही कहा जायेगा. क्यूंकि निर्देशक अपनी पिछली फिल्म ‘यमला पगला दीवाना’ जैसा जादू चलने में नाकामयाब रहे हैं.अभिनय की बात करें तो तुषार फर्स्ट हाफ में जमते नहीं लेकिन जैसे ही वो पप्पी सरदार का गेटअप लेकर आते हैं दर्शकों की वाहवाही लूट ले जाते हैं. वहीँ कुलराज रंधावा ने भी चांदनी बनकर अपने अभिनय की चमक बिखेरी है. यह डिम्पल बाला पर्दे पर बड़ी खुबसूरत दिखती है. अनुपम खेर ऐसी कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं लेकिन वो कई बार ऐसी कॉमेडी कर चुके हैं.एक रोंयल और सख्त राजपूत की भूमिका में वो जांचते हैं. उनकी पत्नी की भूमिका में अरसे बाद दिखी अनीता राज ने भी अच्छी परफोर्मेंस दी है. तुषार के तीन भाईओं में से सिर्फ सुशांत सिंह ही अपनी कॉमेडी से ध्यान खिंच पाए हैं बाकी भाईओं में से चंद्रचूड सिंह को तो वेस्ट ही किया गया है. ओम पुरी और फरीदा जलाल ने भी बढ़िया काम किया है. जोनी लीवर पहले भी ऐसी कॉमेडी कर चुके हैं लेकिन अपनी छोटी सी भूमिका में उन्होंने अच्छा रंग जमाया है.
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी ठीक-ठाक है , मगर एडिटिंग में थोड़ी बहुत कमियां हैं. फिल्म के गीत-संगीत सामान्य हैं, सिर्फ ‘चांदनी ओ मेरी चांदनी..’ गाना ही फिल्म देखने के बाद जेहन में याद रहता है. मसाला फिल्म देखनेवालों को यह फिल्म उतनी निरास नहीं करेगी.
निर्देशक : समीर कार्णिक
निर्माता : समीर कार्णिक , तुषार कपूर
पटकथा : अमित मसूरकर , निशांत हाडा
कलाकार : तुषार कपूर , कुलराज रंधावा
संगीत : सन्देश शांडिल्य ,आरडीबी ,शिव हरी, अभिषेक राय
छायांकन : कबीर लाल
एडिटिंग : मुकेश ठाकुर
निर्माता : समीर कार्णिक , तुषार कपूर
पटकथा : अमित मसूरकर , निशांत हाडा
कलाकार : तुषार कपूर , कुलराज रंधावा
संगीत : सन्देश शांडिल्य ,आरडीबी ,शिव हरी, अभिषेक राय
छायांकन : कबीर लाल
एडिटिंग : मुकेश ठाकुर
रेटिंग : 2/5 स्टार
राकेश सिंह ‘सोनू’
rakeshsonoo@gmail.com
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