Thursday, 1 March 2012

मूवी रिपोर्ट कार्ड (Film Review),


सेकेण्ड हाफ में पटकथा बिखर सी जाती है फिल्म 'विल यू मैरी मी' में 






   



बैनर : इकोन फिल्म्स प्रोडक्शन
निर्माता : क्रिशन चौधरी, विपिन जैन
निर्देशक : आदित्य दत्त
कलाकार : श्रेयस तलपडे, मुग्धा गोडसे, राजीव खंडेलवाल, मुजम्मिल इब्राहीम,सेलिना जेटली, परेश रावल, मनोज जोशी
कथा-पटकथा : हैदर नाजमी
संगीत : शारिब- तोशी, सचिन गुप्ता
गायक : राहत फ़तेह अली खान, तोशी-सबरी, सुखविंदर सिंह, जसप्रीत जस, स्वेता पंडित, सचिन गुप्ता
गीत : तुराज़,शब्बीर अहमद, गौरवरेटिंग : 2/5

















एक लड़की और उसपर मरनेवाले दो लड़के यह कहानी हर दूसरी-तीसरी फिल्म में नज़र आती है और 
ऐसा  ही ताना-बाना है फिल्म ‘विल यू मैरी मी’ में. कहानी में नयापन नहीं है, पर नए ट्रीटमेंट के साथ फिल्म में ताजगी लाने की कोशिश की गयी है. यह कहानी है तीन दोस्तों की जो अलग-अलग नेचर के हैं.आरव (श्रेयस) शादी में विश्वास करता है लेकिन उसकी जल्दी शादी नहीं हो पाती. तो राजवीर (राजीव खंडेलवाल) सिर्फ सेक्स में यकीं रखता है . तीसरा निखिल उन दोनों से पहले अपनी प्रेमिका से शादी करने जा रहा होता है. आरव और राजवीर निखिल की शादी में मदद करने पहुँचते हैं जहाँ उन दोनों का दिल निखिल की होनेवाली बीवी की दोस्त मुग्धा के प्रेम में पड़कर एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे रहते हैं. इसी बीच राजवीर की  की गयी पुरानी गलती की सजा निखिल को भुगतनी पड़ती है. और नतीजा ये होता है कि निखिल की शादी टूट जाती है. लेकिन फिर तीनो दोस्तों की सच्ची दोस्ती के दम पर सारी मुश्किलें हल होती नज़र आती हैं. पटकथा ठीक-ठाक है पर सेकेण्ड हाफ में एकदम बिखर-सी जाती है. डायलौग कहीं-कहीं पर मजेदार लगे हैं. फिल्म का निर्देशन ठीक-ठाक है. पहले भाग में जहाँ फिल्म तेज़ी से इंटरटेन करती हुई आगे बढती है वहीँ दूसरे भाग में सुस्त रफ़्तार से बढ़ते हुए कहीं भटक-सी जाती है. सेकेण्ड हाफ देखकर ऐसा लगता है जैसे फिल्म की कहानी को जबरन खिंचा जा रहा है. अभिनय के लिहाज से देखें तो पहली बार कॉमेडी करते नज़र आये राजीव खंडेलवाल और श्रेयस तलपडे ने अच्छा परफोर्मेंस दिया है. वहीँ मुजम्मिल ने ठीक-ठाक अभिनय किया है. मुगद गोडसे इस बार भी अपना जादू चलाने में नाकामयाब रही हैं. परेस रावल थोड़ी देर के लिए बदले हुए अंदाज़ में निगेटिव किरदार में नज़र आयें पर वो भी कुछ खास असर पैदा नहीं कर पायें. बाकी कलाकारों का अभिनय सामान्य है. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी तो अच्छी है, परदे पर विदेशी लोकेशंस खूबसूरती से फिल्माये गए हैं. पर एडिटिंग की खामियां सेकेण्ड हाफ में साफ़ दिख जाती है. मैच पर सट्टेबाजी के दृश्यों को ज्यादा खींचकर उबाऊ बना दिया गया है. फिल्म का संगीत ठीक-ठाक है. ‘सुपर मैन और ‘कलमा’ सोंग कुछ बेहतर बन पड़ा है जो फिल्म रिलीज के पहले से ही हिट है. अगर आप फ्लर्ट करने के नए तरीके सीखना चाहते हैं तो यह फिल्म निरास नहीं करेगी.










राकेश सिंह 'सोनू'
rakeshsonoo@gmail.com




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