आज ‘अग्निपथ’ एक इतिहास बन चुका है जो दस-पंद्रह सालों तक याद रखा जायेगा : चेतन पंडित
हाल ही में गोरेगांव इस्ट (मुंबई) के वेस्तीन होटल में जी टीवी के नए शो ‘पुनर्विवाह’ के मुहूर्त के मौके पर 'बॉलीवुड मौसम' के राकेश सिंह ‘सोनू’ की मुलाक़ात हुई अभिनेता चेतन पंडित से जो करण जौहर की लेटेस्ट फिल्म ‘अग्निपथ’ में दीनानाथ चौहान बनकर सबका दिल जीत चुके हैं. यहाँ प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश -
चेतन जी, सबसे पहले आप जी पर आनेवाले इस नए सीरियल ‘पुनर्विवाह’ में अपने किरदार पर कुछ प्रकाश डालें?
’पुनर्विवाह’ में मैं एक पिता की भूमिका में हूँ जिसके तीन बेटे और दो बेटियां हैं. मेरे किरदार का नाम है सूरज प्रताप जो अन्दर से नरम मगर बाहर से एक शख्त इंसान है, जिसे हर वक़्त परिवार में सबकी बेहतरी की चिंता लगी रहती है.
अब आपकी लेटेस्ट ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘अग्निपथ’ के बारे में…… आपको इस फिल्म में दीनानाथ चौहान का रोल कैसे मिला…?
दीनानाथ चौहान के किरदार के लिए कई लोगों को स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया गया जिनमे मैं भी शामिल हुआ. लेकिन जब मैं चुन लिया गया तब मुझे इसकी जानकारी मिली कि निर्देशक करण मल्होत्रा पहले से ही मन में यह निश्चय करके बैठे थे कि यह किरदार मैं ही निभाऊं !
क्या दीनानाथ के किरदार को लेकर आपको कोई घबराहट महसूस हुई?
डरे हुए तो हम सभी थे कि अग्निपथ के रिलीज के बाद सभी का रिएक्शन क्या होगा….? मैंने फिल्म बनने के पहले करण मल्होत्रा से यह सवाल भी किया था कि ‘ why Agnipath …?’ , क्यूंकि पुराने ‘अग्निपथ’ का जो स्थान बना हुआ है वो आज भी कायम है और अगर उसकी मूल आत्मा से जरा भी छेड़खानी हुई तो हम सभी कठघरे में होंगे…! मुझे बड़े किरदारों के बीच दबने का भी डर था….लेकिन आप बहुत जगह काम करके ही बहुत कुछ सीख पाते हैं.
आप लगातार पिता का किरदार निभा रहे हैं तो क्या अपनी इमेज को लेकर डर नहीं लगता ?
मेरे ख्याल से एक एक्टर के लिए उसका काम ज्यादा अहमियत रखता है. फिर आपका किरदार बाप का है या बेटे का यह बाद की बाते हैं. ‘अग्निपथ’ में मैं दस साल के बच्चे का पिता हूँ तो ‘राजनीती’ में मैं रणवीर कपूर का पिता बना हूँ. लेकिन ‘गंगाजल’ में मेरा किरदार एकदम अलग था. वहीँ फरवरी में रिलीज हो रही मेरी नयी फिल्म ’ मैरिड टू अमेरिका’ में मैं एक एन.आर. आई. इंजीनियर के किरदार में हूँ. प्रकाश झा की अगली फिल्म ‘चक्रव्यू’ में भी मेरा कुछ अलग किरदार है.
आप फ़िल्में भी कर रहे हैं और सीरियल भी….दोनों में से आप खुद को कहाँ ज्यादा संतुष्ट पाते हैं ?
फिल्मे मुझे ज्यादा सुकून देती हैं. जहाँ सीरियल कुछ अरसे बाद बंद होते ही भुला दिए जाते हैं वहीँ फिल्मों का प्रसारण बरसों तक होता रहता है. मैं हिस्ट्री में एक बैड स्टूडेंट था, लेकिन आज ‘अग्निपथ’ एक इतिहास बन चुका है जो आगे भी दस- पंद्रह सालों तक याद रखा जायेगा.
लेकिन डेली शोप में आपका रोल लम्बा होता है वहीँ फिल्मों में तो छोटे-छोटे रोल ही मिल रहे हैं…?
फिल्म ‘अ वेडनेस डे” में मेरा दो दिन का ही काम था. फिल्म ‘गंगाजल’ करने के बाद मेरे 5 मेजर सीन्स कट चुके थे जिससे मैं दुखी भी था, लेकिन आज भी मुझे लोग ‘गंगाजल’ के लिए बधाईयाँ देते हैं. ‘अग्निपथ’ की बात करें तो संजय दत्त के साथ फिल्म के एक दृश्य के लिए 20 दिनों तक गांववालों के साथ पानी में, मिट्टी में घिसते हुए, खून में सने हुए मैंने शूटिंग पूरी की थी जो बड़ा ही मुश्किल था. और परदे पर यह दृश्य महज 4 -5 मिनट में ही निकल जाता है. कहने का मतलब कि कोई लम्बे दृश्य में है फिर भी उसे कोई नहीं पूछता. यहाँ फिल्म का चलना पहली शर्त है इसलिए एक अच्छी फिल्म का छोटा हिस्सा बनना भी काफी होता है.
अभिनय क्षेत्र में आने वाले नए लोगों को आप क्या सलाह देना चाहेंगे…?
यही कि अपने काम पर विश्वास है तभी इस क्षेत्र में आईये क्यूंकि यह 7 -8 घंटे का सरकारी जॉब नहीं है. यहं डायरेक्टर-प्रोडूसर भी हमें रोल देकर हमपर कोई एहसान नहीं करते. उन्हें भी हमारे काम पर विश्वास रहता है तभी वो हमें लेते हैं. अगर हम वहां फिट नहीं हैं या वे हमसे जो अपेक्षा कर रहे हैं वो हम नहीं पूरा कर पाते तो फिर सब बेकार है.
पुरानी हिट फिल्मो का रीमेक बनाना आपकी नज़र में कितना सही है..?
देखिये इसमें कोई बुराई नहीं है. उल्टे यह तो जोखिम का काम है जो हर किसी के वश की बात नहीं है. रीमेक इसलिए बनते हैं कि हर स्टोरी को कई एंगल से देखा जाता है. यहाँ पर ऐसे हजारों लोग होंगे जिन्होंने अब तक पुरानी ‘अग्निपथ’ भी नहीं देखी होगी. लेकिन इस ‘अग्निपथ’ को देखने के बाद हो सकता है वो जिज्ञासावश पुरानी ’अग्निपथ’ को देखें. अब जहाँ तक रीमेक को पसंद करने की बात है तो यह दर्शकों पर छोड़ देना चाहिए. आपको बता दूँ कि मुझे 5 क्रिटिक्स ऐसे मिले जिन्हें नयी ‘अग्निपथ’ पसंद नहीं आई. इस बात पर मैंने करण से कहा कि या तो आप फिल्मे पूरे हिंदुस्तान के लिए बनाओ या फिर इन पांच क्रिटिक्स के लिए. मेरे ख्याल से कोई भी फिल्म हो वह ऑडियंस को हिट करनी चाहिए !